परिचय
आयुर्वेद, जो कि भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है, विभिन्न रोगों के उपचार के लिए जानी जाती है। इसमें प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और खनिजों का उपयोग कर औषधियाँ तैयार की जाती हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख औषधि है पीड़ा हरन, जो विशेष रूप से शरीर के विभिन्न प्रकार के दर्दों को दूर करने में सहायक होती है।
पीड़ा हरण क्या है?
पीड़ा हरण एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो मुख्य रूप से शरीर में उत्पन्न होने वाले दर्द को कम करने के लिए प्रयोग की जाती है। यह औषधि तेल, चूर्ण, कैप्सूल और मलहम के रूप में उपलब्ध होती है। इसके नियमित उपयोग से जोड़ों का दर्द, गठिया, पीठ दर्द, सिरदर्द, मांसपेशियों का दर्द और तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्याओं में राहत मिलती है।
पीड़ा हरण औषधि के प्रमुख घटक
इस आयुर्वेदिक औषधि में कई प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और खनिजों का समावेश किया जाता है, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:
आमलकी (आंवला) – १२५ मिलीग्राम – एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट जो हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाने में सहायक होता है।
विभीतकी – १२५ मिलीग्राम – यह पाचन को सुधारता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है।
हरीतकी – २५० मिलीग्राम – यह सूजन को कम करने और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में सहायक होती है।
अमलतास – २५० मिलीग्राम – यह शरीर की गर्मी को नियंत्रित करता है और सूजन को कम करता है।
रासना – २५० मिलीग्राम – जोड़ों के दर्द और गठिया में विशेष रूप से लाभकारी होती है।
गुडूची (गिलोय) – १२५ मिलीग्राम – यह प्रतिरक्षा को बढ़ाने के साथ-साथ सूजन को कम करने में सहायक है।
निर्गुंडी –१२५ मिलीग्राम – यह तंत्रिका तंत्र को शांत कर दर्द और सूजन को कम करने में सहायक होती है।
अश्वगंधा – १२५ मिलीग्राम – यह शरीर की थकान को दूर कर ऊर्जा प्रदान करती है।
नागरमोथा – ६५ मिलीग्राम – यह मांसपेशियों के दर्द को कम करने में सहायक होती है।
बला १२५ मिलीग्राम – – यह हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक होती है।
अरंड (कैस्टर) – १२५ मिलीग्राम – यह सूजन को कम करने और जोड़ दर्द में राहत देने में मदद करता है।
गोखरू – १२५ मिलीग्राम – यह मूत्र संबंधी समस्याओं को दूर करने और हड्डियों को मजबूत करने में सहायक होता है।
पुनर्नवा – १२५ मिलीग्राम – यह शरीर से अतिरिक्त पानी निकालकर सूजन को कम करने में मदद करता है।
सोंठ (सूखी अदरक)- १२५ मिलीग्राम – यह शरीर में गर्मी उत्पन्न कर दर्द और सूजन को कम करता है।
पीड़ा हरण रस के लाभ
यह औषधि विभिन्न प्रकार के शारीरिक कष्टों में राहत देने के लिए जानी जाती है। इसके कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:
जोड़ों के दर्द में राहत – गठिया, आर्थराइटिस और अन्य जोड़ों से संबंधित समस्याओं में सहायक।
मांसपेशियों के दर्द में राहत – अत्यधिक परिश्रम, खेल-कूद या अन्य कारणों से उत्पन्न दर्द में उपयोगी।
पीठ दर्द और कमर दर्द में सहायक – विशेष रूप से लंबे समय तक बैठकर कार्य करने वालों के लिए उपयोगी।
सिरदर्द और माइग्रेन से राहत – नसों को शांत कर सिर दर्द को कम करता है।
हड्डियों को मजबूत बनाना – कैल्शियम अवशोषण में सुधार करता है, जिससे हड्डियाँ मजबूत होती हैं।
शरीर की सूजन कम करना – इसमें मौजूद जड़ी-बूटियाँ सूजन को कम करने में सहायक होती हैं।
पीड़ा हरण का उपयोग कैसे करें?
इस औषधि का उपयोग सुबह और शाम को खाना खाने से आधे घंटे पहले मात्रा १५-२० मिली ताजे पानी के साथ व डॉक्टर की सलाह अनुसार लें |
सावधानियाँ
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका उपयोग चिकित्सक की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।
यदि किसी को किसी जड़ी-बूटी से एलर्जी हो, तो इसका उपयोग न करें।
बच्चों और बुजुर्गों को कम मात्रा में देना चाहिए।
चिकित्सकीय परामर्श के बिना अन्य दवाओं के साथ इसका सेवन न करें।
निष्कर्ष
पीड़ा हरन एक प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है, जो प्राकृतिक तत्वों से बनी होने के कारण शरीर को कोई विशेष हानि नहीं पहुँचाती। यह जोड़ों, मांसपेशियों और हड्डियों के दर्द को दूर करने में अत्यंत लाभकारी है। उचित मात्रा में और सही तरीके से इसके उपयोग से व्यक्ति को दर्द से राहत मिल सकती है। यदि आप किसी प्रकार के दर्द से पीड़ित हैं, तो इसे आजमाने से पहले किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लें।
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